
रैपुरा गांव की उस भयावह रात को कोई नहीं भूल सकता, जब आग की लपटों ने एक निर्धन परिवार की वर्षों की गृहस्थी को पल भर में राख कर दिया। जीवन की वह जमा-पूंजी, जो बूंद-बूंद जोड़कर खड़ी की गई थी, वह सब कुछ जलकर खाक हो गया। आंखों के सामने सपनों का यूं उजड़ जाना किसी भी इंसान को भीतर तक तोड़ सकता है।

लेकिन इसी अंधेरे में उम्मीद की एक किरण बनकर सामने आया इंटरनेशनल पायनियर्स क्लब, जिसने पीड़ित परिवार को न सिर्फ सहारा दिया, बल्कि उन्हें दोबारा खड़े होने का संबल भी दिया।
जिलाधिकारी शिवशरणप्पा जीएन के निर्देशन में और उपजिलाधिकारी मानिकपुर मो. जसीम की अध्यक्षता में क्लब के सदस्यों ने रैपुरा पहुंचकर पीड़ित परिवार को दैनिक जीवन की जरूरी चीजें बर्तन, कपड़े और राशन सामग्री सौंपीं। यह सिर्फ सामान नहीं था, यह एक टूटे हुए मन को सहेजने की कोशिश थी, यह उस विश्वास की लौ थी जो कठिन समय में भी जलती रहती है।
एसडीएम मो. जसीम ने कहा, “मानव सेवा की इससे बड़ी मिसाल और क्या होगी? प्रशासन की ओर से राहत राशि दी गई थी, परंतु इस संस्था ने जो संवेदना दिखाई, वह हृदय को छू लेने वाली है।”
संस्था के अध्यक्ष केशव शिवहरे ने बताया कि पीड़ित परिवार की मदद का निर्णय उन्होंने तुरंत लिया और अगले ही दिन ज़रूरी सामान लेकर रैपुरा पहुंच गए। उन्होंने यह भी कहा कि संस्था का उद्देश्य सिर्फ सहायता करना नहीं, बल्कि पीड़ितों को फिर से आत्मसम्मान और आत्मबल के साथ जीवन जीने का हौसला देना है।
इस मौके पर गांव के लोगों को आग से बचाव के उपायों के प्रति भी जागरूक किया गया। संस्था ने यह संदेश भी दिया कि गर्मियों के इस मौसम में लापरवाही बड़ी घटनाओं को जन्म दे सकती है, इसलिए सजग रहना बेहद जरूरी है।
इस पुनीत कार्य में सचिन अग्रवाल, अमित अग्रहरि, नायब तहसीलदार मनोज सिंह, समाजसेवी अनुज हनुमत और अन्य कई लोग उपस्थित रहे, जिन्होंने निःस्वार्थ सेवा की मिसाल पेश की।
रैपुरा का वह परिवार, जो कल तक अपने टूटे हुए आशियाने के साथ टूटी उम्मीदों को समेट रहा था, आज एक नई शुरुआत की ओर कदम बढ़ा रहा है इंसानियत की ताकत से।
” सौरभ द्विवेदी वरिष्ठ पत्रकार, विश्लेषक और ‘सत्य भारत’ के लेखक हैं। दो दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय सौरभ सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विषयों पर बेबाक लेखन के लिए जाने जाते हैं। “