Saurabh Dwivedi
अब लगता है भारत में सृजन के लिए कुछ नहीं है। सृजन करने को सोच भी नहीं सकते , वजह बड़ी गंभीर है। चारो दिशाओं से आक्रामक घटनाएं और दुष्कर्म की खबरें आ रही हैं। कोई किसी को फंसा देना चाहता है तो किसी को बचा लेना चाहता है।
कहीं मदरसा दोषी हो जाता है तो कहीं मंदिर दोषी हो जाता है। पवित्र जगहों में अपवित्र घटनाओं का तिलिस्म टूटने लगा है। कहीं षणयंत्र है तो कहीं हकीकत है अगर कुछ नहीं है तो वह सिर्फ विश्वसनीयता नहीं है।
कहते हैं बात मदरसा की हो और मौलवी की हो तो एक विशेष वर्ग चुप्पी साध लेता है और तर्क यह देता है कि उनके धर्म के मामले का हमसे क्या लेना देना है पर वो पाकिस्तान में नहीं भारत में है , तो लेना देना तो होना चाहिए।
न्यायिक व्यवस्था पर पूर्ण विश्वास नहीं है , जहाँ कोर्ट बिकते हों और झूठे गवाह खरीदे जाते हों , सच को दफ्न कर दिया जाता हो वहाँ बेदाग जीवन कलयुग में चमत्कार सा है और मीडिया ट्रायल किम जोंग की मिसाइल से ज्यादा मारक है।
नेता ऐसे हो चुके हैं कि राष्ट्र से नहीं सत्ता से मतलब है , इसलिए सत्य और न्याय की बात वहीं तक सीमित है जहाँ तक सत्ता का खेल ना बिगड़ेगा वरना इतना पर्याप्त हो जाता है कि 15 मिनट को बोलने दो बोलती बंद हो जाएगी और 15 मिनट को पुलिस हटा लो फिर देख लो , एक और है वो भी 15 मिनट की बात करते हैं मतलब साफ है भारत की जिंदगी 45 मिनट की है।
समझिए हम कहाँ आ खड़े हुए हैं , जहाँ मोदी को हराना है , राहुल को जिताना या फिर मोदी को जिताना है और क्षेत्रीय क्षत्रप तमाम हैं। इस राजनीति के खेल में बड़े बड़े षणयंत्र होते हैं। नेता लोग रोज हारते जीतते हैं जनता सिर्फ 5 साल में एक बार हार जीत महसूस करती है परंतु ऐसे ही नहीं हौसले बुलंद रहते हैं , राजनीति के खेल में रोज मोदी राहुल हार जीत रहे हैं।
जो भी है देश में स्थितियां शुभ नहीं है और पूरे एक साल तक आम आदमी का दिमाग भ्रष्ट कर दिया जाएगा। दुनिया भर की ताकतें अपनी ताकत झोंक रही हैं वो अकेला शख्स अंदर ही नहीं विदेशों में भी खतरा है। पहचानना जनता को है कौन है वो शख्स ?
किन्तु सबसे पहले सोचना यह है कि माहौल कैसे अच्छा हो कि सृजन कर सकें , प्रेम जता सकें अभी तो बड़ा भयावह लग रहा कि न्याय दिलाने के लिए हर रोज दुष्कर्म की उस घटना पर लिखूं तो यह भी सच है कि ब्रह्मांड से संचालित आकर्षण के सिद्धांत के तहत ज्यादा से ज्यादा ऐसी घटनाएं ही घटित होगीं।
इन बुरी घटनाओं को रोकने के लिए क्या करें ना करें कुछ समझ में नहीं आता और मुझसे कुछ लिखा भी नहीं जा रहा है।
एक बेटी ने लिखा था कि वह पीएम नरेन्द्र मोदी पर रेप का आरोप लगाती है चूंकि पीडिता का बयान ही पर्याप्त है इसलिए कोर्ट उनकी बात मानकर मोदी जी को सजा देगा ?
सचमुच भ्रमित हो गया , संक्रमित हो गया , कहा था ना भारत संक्रमण काल से गुजर रहा है। क्योंकि एक पक्ष द्वारा आसिफा के बाद जस्टिस फार गीता चलाया जा रहा है और दुष्कर्म के मामलों पर भी हम बंट चुके हैं।
सत्तावादी राजनीति इस कदर हावी हो चुकी है कि अब कुछ खास बचा नहीं भारत और भारतीयता हेतु।