इस समय की भाजपा चौकाने वाले फैसले लेती है। राजस्थान हो या मध्यप्रदेश दो ऐसे व्यक्तियों को सीएम बना चुकी है जिन्होंने सोचा ही नही था कि वे सपने मे भी सीएम बन सकते हैं , ऐसे ही हालात लोकसभा चुनाव मे हो सकते हैं।
पिछले कुछ महीनों से रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाए जाने की मांग करने वाली अर्चना उपाध्याय दिल्ली और लखनऊ मे अनेको बार देखी गई हैं। भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ उनकी बैठकों का दौर जारी है। चाणक्य गुप्तचरों के माध्यम से सूचना मिल रही है कि इन बैठकों मे उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ाने की चर्चा हो रही है।
लेकिन जरा ठहरो सबसे पहले जान लो कि आखिर अर्चना उपाध्याय चुनाव क्यों और कैसे लड़ेगी ? तो बात धनबल की आती है उसमे ये कहीं से पीछे नही हैं और बात उदार हृदय की आती है तो उसमे भी अव्वल मानी जाती हैं और तो और फैन फालोविंग के मामले मे भी नंबर वन मानी जा रही हैं।
जिन्होंने 22 जनवरी की रामलला की झांकी देखी है और मुसलमानों ने रामलला का जिस प्रकार वंदन अभिनंदन किया उससे बांदा लोकसभा मे इनका नाम चर्चा का विषय बन चुका है। जिन्होंने हाल ही मे बांदा जनपद मे बड़ी प्रेस वार्ता करी है।
यह प्रेस वार्ता सवा लाख सुन्दरकाण्ड पाठ कराए जाने को लेकर थी। लेकिन महज सवा लाख सुन्दरकाण्ड पाठ की बात नही है महत्वपूर्ण यह है कि गांव गांव मे सुन्दरकाण्ड के पाठ होने जा रहे हैं तो बहुत कम समय मे वो बांदा लोकसभा के गांव गांव मे बड़ी पहचान हासिल करने जा रही हैं जिससे तमाम चर्चित हस्तियों के बीच चर्चा का विषय बन चुकी हैं कि आखिर यह नारी करना क्या चाहती है ?
बहुत से लोग सवाल कर रहे हैं कि लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं क्या ? किन्तु वो इस बात से मुस्कुराते हुए सरासर इंकार करती हैं जिनकी मुस्कुराहट से संकेत साफ समझ मे आता है कि बात कुछ वजनदार है !
बीजेपी जिस प्रकार के निर्णय लेती है उससे यह साफ है कि अंत समय तक चौकाने वाला फैसला आ जाता है। बुन्देलखण्ड मे भी पार्टी बड़ा प्रयोग करना चाहती है और नारी शक्ति वंदन अधिनियम को पहले ही साकार रूप देने के लिए भाजपा ऐसी नेत्रियों पर नजर टिकाए है जो चुनाव लड़ने मे सक्षम हैं। इसलिए उनकी गतिविधियों को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि कही नेतृत्व की नई पीढ़ी तो नही सामने आ रही है।
मोदी योगी के मैजिक मे भाजपा फुल कॉन्फिडेंस मे है और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भाजपा मे नवीन प्राण ऊर्जा का संचार हो रहा है तो वहीं पीडीए हो या इंडी गठबंधन ध्वस्त होते चले जा रहे हैं , ऐसे मे एक बार फिर 2014 और 2019 जैसा माहौल भाजपा के पक्ष मे बनता नजर आ रहा है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को चुनाव लड़ा कर 2029 के लोकसभा चुनाव की बड़ी लकीर अभी से खीच देना चाहती है।
चुनाव की तारीख जैसे जैसे नजदीक आ रही है वैसे वैसे भाजपा अब शीघ्र ही प्रत्याशी की घोषणा करना चाहती है जिसमे बांदा लोकसभा मे अक्सर महिला प्रत्याशी को चुनाव लड़ाए जाने की बात होती है तो संभव है कि रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाए जाने के मुद्दे को धार देने के लिए भाजपा इन्हें लोकसभा का प्रत्याशी बना दे इसलिए राजनीति के तमाम मठाधीशों की धड़कन की रफ्तार तेजस एक्सप्रेस से भी तेज रफ्तार मे धड़क रही है।