बोध वाक्य :” लक्ष्य तक पहुंचे बिना पथ पर पथिक विश्राम कैसा ; भारत माता की जय “
अशोक जाटव सरल स्वभाव के धनी नेता हैं। संगठन और कार्यकर्ताओं को प्रमुखता प्रदान करते हैं। समाज के शोषित वंचित वर्ग को न्याय दिलाने मे संविधान , समाज और राजनीति को सकारात्मक रूप से प्रयोग करते हैं और प्रत्येक वर्ग के लिए न्याय की लड़ाई लड़ने के लिए जाने जाते हैं। युवा भारत मे युवाओं के हित और उनकी ऊर्जा के सदुपयोग के लिए चिंतन करते हैं व धरातल पर उपयोगी कार्य करने पर विश्वास रखते हैं। साथियों का साथी और दुश्मनों का दुश्मन अशोक जाटव को ही कहते हैं राजनीति मे जैसे भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी राजनीति के अजात शत्रु कहलाते थे , वहीं डा. भीमराव अंबेडकर के वास्तविक विचारों के समर्थक हैं जिनके लिए हिन्दू – हिन्दुत्व और सनातन धर्म सर्वोपरि है।
स्वामी विवेकानंद के ध्येय वाक्य की तरह इनका अपनी बोली – भाषा का ध्येय वाक्य है जो विधानसभा चुनाव 2022 मे खूब चर्चित हुआ , इससे पहले लोकसभा चुनाव 2019 मे भी इस ध्येय वाक्य की चर्चा हुई….
” लक्ष्य तक पहुंचे बिना पथ पर पथिक विश्राम कैसा ; भारत माता की जय “
माना ये जाता है कि जब आप इस ध्येय वाक्य का प्रयोग करते हैं तो महाभारत के महान योद्धा अर्जुन की तरह चिड़िया की आंख मे ही निशाना लगाते हैं। जिससे पता चलता है कि आप एक राजनेता के रूप मे ‘ इरादों के पक्के ‘ व्यक्तित्व के रूप मे स्थापित हो रहे हैं।
आपकी माँ श्रीमती बसंती जाटव चित्रकूट जनपद के नगर पंचायत राजापुर की 2006 से 2011 तक अध्यक्ष रहीं , पिता स्व. गोविन्द प्रसाद जाटव हैं। किन्तु आप स्वयं सन् 2000 मे नगर पंचायत राजापुर के सभासद रहे और महिला स्वतंत्रता व अधिकारों के प्रबल पक्षधर होने के साथ अपनी पत्नी श्रीमती संतोष जाटव को समय-समय पर सामाजिक कार्यों के लिए जनता के बीच भेजते रहते हैं , इस प्रकार चुनावी राजनीति और संगठन की राजनीति को साधते हुए 2021 मे भाजपा से जनपद चित्रकूट के प्रथम नागरिक बनने का गौरव प्राप्त किया , इसके लिए आप अपने दल की विचारधारा और कार्यकर्ताओं को पूरा श्रेय देते हैं अपितु चर्चा यह है कि भाजपा इनके दिल मे इस तरह बसती है कि अपने दल के लिए पूर्ण आत्मविश्वास से अंतिम सांस तक वैचारिक लड़ाई लड़ने के लिए दृढ प्रतिज्ञ हैं।
माना जाता है कि भविष्य मे भारतीय जनता पार्टी मे इनका राजनीतिक कद कार्य की बदौलत बढ़ता जाएगा , इनके समर्थकों और जनता को इनसे उम्मीदे भी हैं।
संगठन के लिए जीते हैं संगठन के लिए मरते हैं….
संगठन जिसकी आत्मा है उसकी परीक्षा का समय भी आया था। बसपा शासनकाल मे जब इनकी माँ श्रीमती बसंती जाटव नगर पंचायत राजापुर की अध्यक्ष थीं उस वक्त सूबे के रसूखदार मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दिकी की पत्नी हुसना सिद्दिकी विधान परिषद सदस्य का चुनाव लड़ रही थीं। उस वक्त इन मंत्री जी के संबंधी मुमताज का भी बड़ा नाम था और वह हुसना सिद्दिकी के लिए वोट मांग रहे थे।
इसी क्रम मे मुमताज अपने काफिले के साथ अशोक जाटव के निज निवास राजापुर पहुंचे थे। वह इनकी माँ की वोट के साथ इनको पार्टी मे शामिल होने की मांग भी रख चुके थे। उनकी बोली यही थी कि वोट तो दो ही लेकिन बसपा मे शामिल भी होना है।
एक याचक को जो जवाब देना चाहिए था वही एक राजनीतिक ने दिया कि वोट की बात है तो वह आपको मिल जाएगी और सत्ता मे हो तो विजय भी लगभग सुनिश्चित है लेकिन जहाँ तक बात रही कि मैं बसपा मे शामिल हो जाऊं तो वह मेरे जीते जी संभव नही है चूंकि संघ और भाजपा की विचारधारा का सपूत हूँ और जीवन भर संघ और भाजपा की राजनीति करूंगा। इसलिए तब से जानने वाले लोग कहते हैं कि अशोक जाटव संगठन के लिए जीते हैं और संगठन के लिए मरते हैं.
संघ शिक्षा …..
संघ की पहचान अब ना सिर्फ राष्ट्रव्यापी अपितु वैश्विक इस स्तर पर इस संगठन के विचार और कार्य करने के तरीके पर शोध होना शुरू हो गया है चूंकि आज चर्चा है कि संघ है तो भारत है , एकता और अखंडता का बड़ा कारण संघ है ऐसे ही संगठन से अशोक जाटव ने संघ शिक्षा द्वितीय वर्ष प्राप्त की ।
इनके अंतर्मन मे मूल विचार संघ के हैं जिनके आधार पर लगातार देश और समाज के लिए चिंतन और राजनीति करते रहे। जमीनी स्तर पर वैचारिक संघर्ष करते हुए लोगों को संघ के विचारों से वाकिफ कराना , लोगों के मन मे विपक्षी कथित विचारकों द्वारा स्थापित भ्रम को समाप्त कर राष्ट्र हित मे जीवन समर्पित करने के लिए तैयार करना।
बुंदेलखण्ड मे दलित समाज के मन मे राष्ट्र हित और हिन्दुत्व के हित के लिए वैचारिक स्तर पर प्रयास कर संघ और भाजपा की नीतियों को स्थापित करने का सतत प्रयास कर रहे हैं। एक समय बुंदेलखण्ड सपा – बसपा का गढ़ माना जाता था जो अब दो विधानसभा चुनाव से समाप्त हो चुका है और भविष्य मे अनुसूचित के वोट की बदौलत बहुत बड़ा परिवर्तन बुंदेलखण्ड से होने वाला है , ऐसा अशोक जाटव मानते हैं और कानपुर – बुंदेलखण्ड क्षेत्र मे भ्रमण करते रहते हैं.
अनुसूचित समाज ( दलित ) अपना वोट ना बेचे ……
जब – जब अनुसूचित वर्ग के लोगों के बीच उठना – बैठना होता है तब – तब उन्हें इस बात के लिए जागरूक करना कि किस प्रकार बसपा सुप्रीमों मायावती ने अनुसूचित समाज के वोट बैंक का सिर्फ प्रयोग किया है व बेचकर दलित समाज के साथ इतिहास का सबसे बड़ा धोखा किया है ! वहीं डा. अंबेडकर के बाद दलित चिंतक व राजनेता कांशीराम का आप उतना ही सम्मान करते हैं।
वे अनुसूचित समाज के लोगों से सवाल करते हैं कि क्या डा. भीमराव अंबेडकर ने यह कहा था बसपा को ही अपना वोट देना ? नहीं ! ऐसे ही सवाल – जवाब के साथ अनुसूचित समाज के लोगों को जागरूक करने का क्रम चलता रहता है। भाजपा ने गरीब जनता और अनुसूचित समाज के लिए जिन योजनाओं से कार्य किया है उनकी चर्चा कर वास्तविक कार्य योजना बताने का लगातार प्रयास करते नजर आते हैं। यही वजह है कि बुंदेलखण्ड मे अनुसूचित समाज का कुछ प्रतिशत मतदाता अब भाजपा को मतदान करने की ओर मूड बना चुका है।
बुंदेलखण्ड का विकास हो रहा है और रोजगार का बड़ा गेटवे बनेगा बुंदेलखण्ड.
भाजपा की योगी सरकार ने बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस वे बनाकर विकास की रफ्तार को बढ़ाने का काम किया है। अब बुंदेलखण्ड मे आर्मी के आवश्यक शस्त्र भी बनने लगेंगे चूंकि कानपुर , झांसी और चित्रकूट तक सरकार ने जमीन लेकर डिफेंस काॅरीडोर प्रोजेक्ट के तहत कार्य शुरू कर दिया है। यहाँ थोड़े और प्रयास से युवाओं को आसपास मे नौकरियां मिलने लगेंगी। ऊर्जा के क्षेत्र मे भी बुंदेलखण्ड सौर ऊर्जा द्वारा विद्युत उत्पादन मे सबसे अधिक सहयोगी क्षेत्र साबित होगा , लगातार राज्य और केन्द्र सरकार यहाँ के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और युवाओं के रोजगार का बड़ा गेटवे बनेगा बुंदेलखण्ड.
सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित होने से बिजली की समस्या हल होगी वहीं हर घर जल – हर घर नल योजना से अब शीघ्र ही बुंदेलखण्ड मे पानी की समस्या की खबरे सुनने को नही मिलने लगेंगी। संपूर्ण बुंदेलखण्ड क्षेत्र मे पाइप लाइन बिछाने का कार्य शुरू है तो वहीं हर खेत को पानी पर भी केन्द्र सरकार की कार्य योजना तैयार है जिसके पूर्ण होने से से किसानों को अच्छी पैदावार मिलने लगेगी और यहाँ के किसानों की आमदनी बढ़ेगी।
बुंदेलखण्ड के साथ उत्तर प्रदेश की छवि भी देश भर मे बदलने लगी है। अब यहाँ बिजनेसमैन निवेश करने के लिए तैयार हैं। बदलता हुआ उत्तर प्रदेश भारत की सबसे बड़ी पहचान बनेगा जिसे पहले ही होना चाहिए था।
वैश्विक परिदृश्य मे भारत ……..
हमारे देश की पहचान प्राचीन काल से विरली ही रही है। भारत वैश्विक स्तर मे हमेशा अपनी अलग छाप बनाए रखे था। लोकतंत्र मे अलग-अगल सरकारें अपनी नीतियों के अनुसार कार्य करती हैं परंतु ज्यादातर विदेशी मामलो पर सरकार का रूख पूर्व के कुछ निर्णय और अनुभव के आधार पर होता है।
यह सत्य है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी जब जब विदेश जाते हैं तो उसकी धमक और धुन भारत मे सभी को सुनाई देती है। वह हिन्दी मे भाषण देते हैं जनता स्पष्ट सुन पाती है कि उनका प्रधानमंत्री विदेशी धरती मे उन्हीं के मंच पर क्या बोल रहा है ? यह हर भारतीय के लिए सुख और गर्व की बात है। इसलिए जनता और प्रधानमंत्री मे आपसी समझ है।
आज जनता को विश्वास है कि भारत के हित मे उनके प्रधानमंत्री सशक्त तरीके से बात रखते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले मे अंतर्राष्ट्रीय जगत को साफ संदेश दिया गया इसलिए जम्मू-कश्मीर का नासुर बन चुके मुद्दे का ऐसा आप्रेशन हुआ जैसे आदमी को शून्य कर बिना किसी दर्द के बड़ा से बड़ा आप्रेशन कर दिया जाए वैसे ही ना कोई दंगा ना फसाद और जम्मू-कश्मीर से धारा – 370 समाप्त हो गई। और हमारे दुश्मन ताकते रहे और विश्व से हमारी सफल कूटनीति की बदौलत समर्थन मिला।
सेना के जवानों का बदला एयर स्ट्राइक करके लेना असंभव को संभव कर दिखाना था जो भाजपा की केन्द्र सरकार मे ही संभव हो सका। साथ ही दुश्मन मुल्क को संदेश दिया गया कि अब यह नया भारत है जो अपनी सुरक्षा और जीवन रक्षा के लिए कुछ भी कर सकता है। मेरी आकांक्षा है कि देश के लिए सतत कार्य करता रहूँ और वैश्विक परिदृश्य पर भारत देश की उत्तम छवि प्रकाशित होती रहे जैसे कि हर भारतीय का सपना है , हमारे सपनों का भारत जरूर बनेगा।