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कामतानाथ की परिक्रमा कर वापस होते समय बड़ा मठ के महंत वरूण प्रपन्नाचार्य महाराज से मिलने पहुंचा तो उन्होंने एक कहानी सुनाई जो सबकी जिंदगी मे लागू होती यदि कहानी जैसा जीवन हो जाए तो क्या बदलाव आ सकता है आपके जीवन मे समझिए इस कहानी से
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वो कहते हैं कि एक जेलर था जिसने अपने कैदियों को एक दिन बाहर निकाला और ईंट की ढेर की ओर इशारा करते हुए बोला कि ये सारे ईंट इस कोने से दूसरे कोने पर रखना है।
कैदी एक एक कर ईंट उठाने लगे। सभी कैदियों ने एक एक ईंट उठाकर एक कोने से दूसरे कोने पर रख दी।
उन्होंने जेलर को बताया कि ईंट रख दी गई हैं तो जेलर ने फिर से आदेश दे दिया कि अब ये ईंट उसी कोने पर रख दो , यह सुन कैदी भौचक्के रह गए कि यह क्या काम करा रहे हैं !
सभी कैदियों मे एक कैदी का दिमाग चल गया और उसने बताया कि हम एक मानव श्रृंखला बना लेते हैं। इस कोने से उस कोने तक एक पंक्ति मे सभी खड़े हो जाएं और एक एक ईंट देते जाएं , इसका परिणाम यह हुआ कि बहुत कम समय मे और कम श्रम मे ईंट दूसरे कोने पर पहुंच गईं।
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कहानी का तात्पर्य यह है कि लाइफ मे नेटवर्किंग कितनी जरूरी है। संगठन कितना जरूरी है , जहाँ संगठन होगा वहाँ सहयोग होगा और सबके सहयोग से सबका जीवन सरल होगा , सहज होगा और सुखमय होगा।
किन्तु अभी जीवन के मामले मे हार रहे हैं लोग हताश होकर आत्महत्या कर रहे हैं। सब एक दूसरे पर भरोसा कम कर रहे हैं या कर ही नही पा रहे हैं।
ये कहावत खूब प्रचलित हुई कि ” आजकल अपै रोयां क्या भरोसा नही आय ” अर्थात अपनी देह के रोएं का भरोसा मत करो कब टूटकर गिर जाए तो यही समाज मे हो रहा है सब एक दूसरे को गिरा रहे हैं इसलिए सहयोग नही कर रहे और जिंदगी जटिल हो रही है।
मेरे मन मे हमेशा से ये रहा कि जीवन के लिए कुछ करना चाहिए। जीवन सुख के लिए मिला है तो आनंदित जीवन के लिए एक ऐसा प्रयास होना चाहिए कि कोई संगठन सिर्फ और सिर्फ जीवन के लिए काम करे , वो विचार प्रस्तुत करें और मानसिक बदलाव लाएं जिससे लोग भौतिक शक्ति और आध्यात्मिक शक्ति को महसूस कर निर्णय लें फिर एक चमत्कारिक परिणाम का विश्वास किया जा सकता है।
इसके लिए हमे विश्वास करना होगा एक दूसरे का और जहाँ विश्वास नही है वहाँ कलह और संघर्ष झलकता है जो आज के घर-परिवार और समाज मे खूब झलक रहा है। इसकी वजह नकारात्मक राजनीति , धर्म और अधर्म पर छाई अज्ञान की धुंध जिम्मेदार है।
जीवन जल की तरह है सहज सरल अविरल धारा जैसे परंतु कहानी के मर्म को समझिए कि संगठन से सहयोग और सहयोग से धन कमाना और मानसिक विकास करना , समाज का वास्तविक विकास सामुदायिक प्रयास से हो सकता है तो विचार अवश्य करिएगा।
Writer : saurabh Dwivedi