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चुंबन इश्क का ……..

सुनो रूह जितनी कोमल पवित्र और चमकती हुई आभास होती है उतनी ही कोमल स्नो व्हाइट सी प्रेयसी के रूप मे तुम अहसास होती हो , तुम्हे हासिल करना उस तरह ही है जैसे अचानक से एक गहरा चुंबन गाल मे देकर तुमने मेरी अनंत गहरे तल मे उम्र भर के लिए अहसास का वो नशा भर दिया शायद ऐसा नशा कहते हैं कि पुरानी से पुरानी शराब को पीने से भी नही हो सकता।

जैसे ही तुम्हारे होठ मेरे गालों को छू गए वैसे ही लगा कि पल भर मे एक स्वप्न साकार हो गया यकीनन मेरे हृदय मे जैसा प्रेम तुम्हारे लिए है वो तुम्हारे चुंबन के जैसे अकथनीय है जिसकी परिभाषा शब्दों मे नही दी सकती सिर्फ और सिर्फ अकेले मे महसूस की जा सकती है।

जिसे अकेलेपन मे मैने उतनी ही दिव्यता से अहसास किया जितना दिव्य तुम्हारा प्रेम मुझे अंतर्मन से बनाता रहा है , मैने जिया इस प्रेम को सिर्फ एक चुंबन के लिए तुम्हारे द्वारा अपनत्व पाकर खुद को गौरवान्वित महसूस करने के लिए !

अक्सर एक चाह रही कि मैं इतना सबल और सामर्थ्यवान हो जाऊं कि जब भी लगे खुले दिल से अच्छे माहौल मे तुम्हारे लिए प्रेम के मिठास भरे और नशीले खत लिख सकूं , जिनके शब्दों को पढ़कर तुम्हारे अंदर की खूबसूरत प्रेमिका जीवंत हो जाए।

तुम खुद मे खुद की दिव्य प्रेमिका को महसूस करो और मेरे शब्द तुम्हारे अंग अंग को इस तह तक स्पर्श करें कि सहलाने लगें और तुम मखमली स्पर्श को फील करते हुए खुद की नजरों से स्वयं अपने अंदर झांकने लगो तो पाओ मेरे मन की गढ़न वाली प्रेमिका को !

याद है तुम्हे तुम्हारी पीठ मेरे इश्क की पूरी एक किताब है जिसकी हर परत उघाड़ते हुए ऐसा लगे जैसे इश्क की किताब का हर पन्ना उघड़ रहा है और इश्क की इंक से लिखे हुए गुलाबी शब्द पूरी पीठ के गोरेपन को गुलाबी रंगत मे बदल दे रहे हैं , एक गाने की सिर्फ एक लाइन याद है अंगूरी बदन हूबहू अंगूरी बदन है !

जिसमे लव फाल नाम की इश्क वाली किताब का हर पन्ना कैद है जैसे तुम्हारी पीठ पूर्णिमा का दमकता चांद है वैसे ही दमकती है , बस मेरे होठ की चुभन अहसास करना चाहो तो यकीनन जैसे जमी पे खड़े रहकर अनगिनत चुंबन पूर्णिमा के चांद को कर लें तो चांदनी मुझ मे बिखर कर समा जाए और रंग निखर जाए मेरा।

मेरी चाहत हो मेरा समर्पण हो मेरे अहसास की मल्लिका हो तुम सचमुच जीवंत हो और प्रेम हमेशा इतना ही काल्पनिक और हकीकत रहा है , मैं भाग्यशाली हूं इस मामले मे कि मेरे हृदय की आंखो मे बसी हुई प्रेमिका को खत लिखकर सुना पा रहा हूं और वो पढ़कर रत्ती भर भी महसूस कर पा रही है तो अकेले मे आने वाली याद मिलन की यादगार बन संपूर्ण महसूस कराती है।

मैं अहसास और शब्दों से तुम्हारा रसपान कर प्रेम की वो प्यास बुझा लेता हूं जैसे पपीहा स्वाति नक्षत्र की बूंद से प्यास बुझाता है। तुम कल्पना के इस प्रेम का उतना ही सम्मान करना जितने सम्मान से तुम्हारा चुंबन मेरे हृदय गर्भ मे दर्ज हो गया है।

तुम्हे ये खत लिखकर प्रेम पुनः जाग उठा है कि अहसास का लव फाल हमेशा बहता रहेगा और इश्क के इस झरने मे शब्दों की बारिश से हम तर होते रहेंगे , देखो कल्पना ही तो है कि झरने मे मैं और तुम संग तर हो रहे हैं। यकीनन जैसे किसी नशीले सांग मे प्रेमिका अपने प्रेमी संग इस कदर भीग गई कि उसकी गढ़न उभरकर लुभाने लगी !

जितनी ईमानदारी से मैने महसूस किया और डूब गया कल्पनाओं मे सिर्फ एक पल के लिए तुम एक पल के लिए सही किन्तु खुद से समर्पित होकर स्पर्श कर लो मुझे उतना ही प्यारा सा कोमल सा चुंबन मुझे तुमने दिया तो जैसे एक जन्म साकार हो गया।

मैं डूब गया हूं जितनी गहराई तुम मे है जितने गहरे समर्पण से तुम अपनी गहराई मे लेकर भर सकती हो उतनी ही अनंत गहराई मे जहाँ असीम आनंद की पराकाष्ठा मे स्वर्ग जैसे माहौल मे एक जिंदगी जी ली हो जैसे।

अंततः इश्क उतना ही अधूरा रहना चाहिए कि फिर लिखा जा सके कल्पनालोक की प्रेमिका को इतना ही प्यारा खत और समर्पण इतना मिले कि ऐसे खत लिखने का माहौल जब चाहें तब बन जाए तुम्हारी याद मे तुम्हारे अहसास मे….. एक इश्क

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