स्कूटर से उस दौर मे पंकज अग्रवाल चला करते थे और सीने पर भाजपा का बिल्ला लगा रहता था जब भाजपा का भाव बाजार मे कुछ खास ज्यादा नही था। खासतौर से बुंदेलखण्ड में भाजपा को सीट जीतना सबसे मुश्किल कारनामा होता था। नब्बे के दशक से इक्कीसवीं सदी तक पंकज अग्रवाल की एक ही पहचान है भाजपा।
अबकी बार कर्वी चित्रकूट नगरपालिका से पंकज अग्रवाल भी प्रत्याशी बनने का मूड बना चुके हैं। उनकी मंशा है कि पार्टी उनकी वफ़ादारी का पुरस्कार दे दे और कमल खिलाने के लिए भाजपा कार्यकर्ता को ही चुनाव लड़ाया जाए।
वैसे तो पंकज अग्रवाल की पहचान किसी से छिपी नही है। भाजपा के तमाम बड़े नेताओं से उनकी सीधी पहुंच है। कल्याण सिंह के समय से पहचान हासिल कर चुके पंकज पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र को अपना राजनीतिक गुरू बताते हैं।
यहीं पर पंकज अग्रवाल के टिकट पर बड़ा पेंच भी फंसता है कि गुरू अपने शिष्य का पक्ष लेंगे या अपने भाई सुरेश प्रसाद मिश्र का पक्ष लेंगे। सूत्रों के हवाले से खबर लगी कि सुरेश प्रसाद मिश्र भी नगरपालिका चुनाव मे भाजपा से दावेदारी ठोक रहे हैं। स्वाभाविक है कि पूर्व सांसद के सामने फिर एक बार धर्म संकट आ गया है कि भाई और शिष्य मे से किसकी बात को ढंग से रखेंगे संगठन के सामने।
इधर महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष दिव्या त्रिपाठी भी संगठन से टिकट मांगने की चर्चा मे हैं। सोशल मीडिया पर उनके भी समर्थक और प्रशंसक चुनाव लड़ाने के लिए जमकर आवाज बुलंद कर रहे हैं। संगठन के स्तर पर इनकी पहचान सेवा और समर्पण के लिए जानी जाती है। हाल ही मे कानपुर बुंदेलखण्ड क्षेत्र मे महिला मोर्चा चित्रकूट नंबर वन की पोजीशन पर आ टिका है जिससे संगठन मे इनकी छवि काम करने वाली महिला की है। और संगठन का एक वर्ग इनके प्रत्याशी बनने का समर्थन भी कर रहा है।
फिर तो ऐसे पांच – दस नाम मांगने वाली सूची मे दर्ज हैं। तरौंहा को आधार बनाकर टिकट का दावा जवाहर लाल सोनी भी कर रहे हैं जो पिछली बार भाजपा से बागी होकर निर्दलीय चुनावी मैदान पर अंगद की भांति पैर जमा दिए थे। और पुरानी बाजार से पूर्व सभासद श्याम गुप्ता भी टिकट की बंशी बजा रहे हैं , इंतजार है कि टिकट मिले तो चुनाव लड़ें इस बार वह बगावत कर चुनाव नही लड़ना चाहते बल्कि कहते हैं कि पार्टी प्रत्याशी का समर्थन करेंगे। फिलहाल और कुछ नाम भी चर्चा मे हैं जिन पर वर्णन आगे किया जाएगा।
वैसे तो नगरपालिका पर कब्जा नरेन्द्र गुप्ता मानकर चल रहे हैं लेकिन अबकी बार भतीजा ही चाचा का टिकट कटवाने मे जोर लगाए है , नाम किसी से छिपा नही है शानू गुप्ता जो खुद बीजेपी से टिकट मांग रहे हैं।
लेकिन नरेन्द्र गुप्ता को विश्वास है कि भाजपा उन्हें ही चुनाव लड़ाएगी। वह हर तरह से स्वयं को मजबूत भी मानते हैं। लेकिन एंटी इन्कमबैसी के तीर नरेन्द्र गुप्ता पर संगठन से और जनता की ओर चल रहे हैं। एंटी इन्कम्बैसी दो तरह की होती है , एक जनता की ओर दूसरी संगठन की और दोनों ही ओर से इनकी दावेदारी पर तीखा प्रहार हो रहा है अब यह तो नरेन्द्र गुप्ता ही जाने कि उनके पास ऐसा कौन सा कवच है जिससे वह अपनी दावेदारी और कब्जेदारी की रक्षा कर सकें।
फिलहाल सुनने मे आ रहा है कि दावेदारों की हर आम और खास चर्चा पर संगठन के आंख कान और नाक डाग स्क्वाड टीम की तरह जांच करने मे जुटी हुई है। जिससे वर्तमान नगरपालिका अध्यक्ष की दावेदारी और कब्जेदारी पर सभी नए उम्मीदवार फिलहाल राहु केतु का ग्रहण मानकर चल रहे हैं।
अब देखना होगा कि आरक्षण क्या तय होता है। बाद मे ही पता लगेगा कि अब कर्वी नगरपालिका का भविष्य क्या है ! फिलहाल राजनीतिक दिलचस्पी आम और खास सबकी बनी हुई है। अब वक्त तय करेगा कि पंकज अग्रवाल अपनी वफादारी का पुरस्कार पाते हैं या नही।
फिलहाल भाजपा की सीधी टक्कर सपा के प्रत्याशी से होना तय है। लेकिन पांच साल से सुशील श्रीवास्तव नगरपालिका मे भ्रष्टाचार और जनहित के मुद्दों को लेकर मोर्चा खोले रहे तो अगर बसपा से प्रत्याशी बनकर आए तो त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है।