तो मित्रों हमारे खास प्रोग्राम पंचायत की गपशप मे ब्लाक पहाड़ी जनपद चित्रकूट से स्वागत करते हैं , मैं यहीं का निवासी आपका लेखक और पत्रकार दोस्त सौरभ द्विवेदी।
भ्रष्टाचार बकायदा शिष्टाचार हो चुका है फिर भी जंग जारी रहती है कि तू बड़ा कि मैं ! जैसे सांप और नेवला लड़ रहे हों।
कहते हैं एक गांव मे प्रधान और सचिव के बीच फिर ठन गई है। सचिव साहब धमकिया रहे हैं प्रधान जी को। सचिव मेल हो या फीमेल हो ग्लैमर जबर रहता है।
इस बार चर्चा मे फीमेल सचिव हैं। फीमेल होने के नाते हम नाम नही ले रहे हैं और ना अभी गांव का नाम उजागर कर रहे हैं , सुबूत धीरे धीरे रफ्तार बनाकर आ रहे हैं फिर खबर अपडेट कर दी जाएगी।
सचिव साहब परधान जी को धमकिया देती हैं कि कमेटी बैठवा दूंगी। फलाने – ढेकाने गांव का उदाहरण भी दे देती हैं। कि देख लो फिर एक आना ना पाओगे।
अब तो आप समझ गए होंगे कि बात चवन्नी अठन्नी की नही है बल्कि आना की है , आना मतलब कट मनी और कट मनी मतलब कमीशन होता है।
सचिव साहब को अपना हिस्सा चाहिए और परधान जी चुनाव मे इतना खर्चा कर चुके हैं कि उसकी भरपाई के लिए टेंशन मे रहते हैं। इधर फीमेल सचिव सहबाइन ने प्रधान जी की टेंशन मे वृध्दि कर दी है।
परधान जी के शुभचिंतक परेशान अलग हैं अगर अटैक वगैरा आ गया तो लफड़ा हो जाएगा। पर अंदर की बात ये है कि प्रधान जी की लाटरी लग गई है तो वह अउर धमकिया रहे हैं जाओ कमेटी बिठाना हो तो कमेटी बिठा दो हम भी देश के सिपाही हैं देश के लिए लड़े देश के लिए मरेंगे पर भूखो नही मरेंगे।
खैर ! पंचायत की चुहुल मे यह किस्सा कुछ काल्पनिक कुछ हकीकत और कुछ सुना हुआ जिसकी पूरी पुष्टि भी हो चुकी है। आपके गांव के भी प्रधान और सचिव का कोई किस्सा होगा तो हमसे कहिए हम लिखकर लड़ेंगे और चलाएंगे आप्रेशन विलेज जिसमे जनता बोलेगी और सच दिखेगा।
बस गुजारिश इतनी है कि आपसी बन ठन मे गांव के विकास का चक्का जाम मत करिए जो खूब सुनाई देते है कि अनपढ़ प्रधान पाकर गांव के सचिव साहब लखनऊ के सचिव साहब से ज्यादा बड़ी दबंगई करते हैं।
फिलहाल उक्त गांव के विकास का चक्का जाम है चूंकि सचिव सहबाइन और परधान जी मे ठन चुकी है। ओहो यह कागजी लड़ाई है कोई किसी का सिर नही फोड़ रहा यह रक्त की नही जब्त की लड़ाई है नोट की लड़ाई है।
पंचायत की चुहुल आपका अपना कार्यक्रम है तो इसे सफल बनाने के लिए जुड़िए हमारे साथ और हम मजेदार तरीके से सच दिखाएंगे।