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By :- Saurabh Dwivedi

शासन की मंशा से जनपद स्तर पर प्रशासन द्वारा जल संरक्षण अभियान की कवायद तेज हो चुकी है। इस अभियान हेतु अनेक प्रकार के स्लोगन का प्रयोग किया जा रहा है। कहीं कुंआ तो कहीं छत और तालाब को आधार बनाकर जल संरक्षण की बात हो रही है। किन्तु एक छत उड़ान पुल के रूप में शासन – प्रशासन के पास पहले से उपलब्ध है और जल निकासी की व्यवस्था भी की जाती है।

उड़ान पुल शासन – प्रशासन का बड़ा प्रोजेक्ट होता है , जिसमें करोड़ो रूपए की लागत लगाई जाती है। करोड़ो रूपए से बने पुल में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का प्लांट प्लान कर लिया जाए तो पुल के नीचे की जमीन की सदुपयोगिता भी बढ़ जाती है।

यह काम इंजीनियर का है। एक इंजीनियर पुल बनाने की योजना में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को सम्मिलित कर वर्षा जल संचय के लिए बड़ा प्रयास कर सकता है। सरकार देश भर के उड़ान पुल में इस प्रकार की योजना लागू कर सकती है।

जो पुल बन चुके हैं उनमें भी और भविष्य में निर्माण होने वाले पुल पर भी किया जा सकता है। राष्ट्र भर के पुल वर्षा जल संचय के लिए वैश्विक उदाहरण बन सकते हैं। संभवतः इस प्रकार की योजना विश्व के किसी भी देश में अब तक सामने नहीं आई है और भारत दुनिया को अपनी रचनात्मकता का बड़ा संदेश दे सकता है।

चित्रकूट जनपद में रेल्वे लाइन के ऊपर से बने उड़ान पुल पर जल निकासी की व्यवस्था की गई है। आसपास के व्यापारियों ने बताया कि पुल पर लगे हुए पाइप शो पीस बनकर रह चुके हैं , इनसे पानी नीचे नहीं आता !

चित्रकूट जिलाधिकारी से उड़ान पुल द्वारा जल संरक्षण अभियान को गति देने के संबंध में फोन द्वारा चर्चा हुई तो उनका कहना रहा कि निश्चित रूप लिखने – पढ़ने से इस सोच को साकार किया जा सकता है। उन्होंने स्टेशन मास्टर से भी बात करने की बात कही !

चूंकि जल संरक्षण की इस कवायद में गांव की छत से लेकर शहरों के उड़ान पुल भी सम्मिलित हो जाएं तो निश्चित रूप से वर्षा जल संचय अभियान को गति मिलेगी और सरकार के इस प्रकार के प्रोजेक्ट की उपयोगिता भी नजर आएगी।

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