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ध्यान यह रखना है कि यह बातें सिर्फ बातें ना साबित हों इसलिए जमीनी स्तर पर संवाद स्थापित कर निरंतर प्रयास करना होगा और यह सामाजिक सद्भाव का कार्य सामाजिक सहयोग से संपन्न हो यह पहला संकल्प सबके मन और आत्मा मे होना चाहिए कि आने वाले 2047 तक विकसित भारत मे विकसित समाज की तस्वीर साफ दिखे।

साल बदलता है तो पुराने साल की नफरत टूटन फूटन को भूलकर समाज को जोड़ने का काम करना महत्वपूर्ण है। साल 2024 मे राजनीतिक वजहों से सनातन समाज को जातियों मे तोड़ने की नफरत भरी बातें कभी लाइव हुईं तो कभी व्यक्तिगत वार्तालाप मे भी भेदभाव पैदा किया गया और जातीय एकता के नाम पर नफरत भरी कट्टरता को जन्म दिया गया।

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फेसबुक पर साल 2025 की पहली जनवरी को तुलसी नगरी राजापुर के युवा रजनीश त्रिपाठी की एक पोस्ट नजर आई जिसमे लिखा था कि ” तुम पूजो तुलसी को मैं पूजूं रैदास ” और इसका साफ संदेश था कि साल 2025 मे समरसता से संपन्न समृद्घ समाज की स्थापना होगी।

Writer Journalist saurabh dwivedi with people

इस पोस्ट की तस्वीर मे जिला पंचायत अध्यक्ष अशोक जाटव के साथ रजनीश त्रिपाठी नजर आए जिससे शब्दों के साथ तस्वीर का उद्देश्य भी साफ नजर आ रहा था कि चित्रकूट एक बार फिर बहुत बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करने जा रहा यहीं से सनातन एकता और समरस समृद्ध संपन्न समाज की नींव रखी जा सकती है।

पिछले दिनों चित्रकूट मे जिस प्रकार से बागेश्वर धाम सरकार के नाम पर हिन्दू एकता को तोड़ने के लिए अनर्गल बयानबाजी की जा रही थी उससे एक पहल स्वयं लेखक पत्रकार सौरभ द्विवेदी ने भी शुरू की थी। जिसको आगे बढ़ाते हुए रजनीश त्रिपाठी नजर आए।

एक गुलाब सामाजिक समरसता का प्रतीक

नोनार गांव की दलित बस्ती मे पहुंच के समाज के दो किनारे आपस मे बात करते हुए नजर आए जिसका उद्देश्य था कि सामाजिक बटे हुए किनारों को पाट दिया जाए जिसका हल संवाद से ही निकल सकता है।

इस गांव की दलित बस्ती मे सौरभ द्विवेदी के साथ हुआ संवाद फेसबुक पर वायरल भी हुआ जिसे बहुत से सवर्ण समाज के सभ्य विनम्र लोगों ने समरस समाज बनाने के लिए अच्छी पहल करार देते हुए टिप्पणी भी की इससे स्पष्ट हुआ कि सवर्ण समाज हो या ओबीसी समाज के सभी अच्छे लोग अच्छी भावनाओं के साथ जीवन जीना चाहते हैं और सामाजिक एकता को महत्व देते हैं।

इसलिए रजनीश त्रिपाठी की इस पोस्ट से यह संदेश सामने आ रहा है कि 2024 की कटु यादों को और अतीत की हर वो बात जो समाज को तोड़ती है उसको दफन करके 2025 मे सामाजिक समरसता की नवीन शुरूआत अनवरत चलती रहे। यह वर्ष हर एक व्यक्ति के हृदय मे समान भाव और मनुष्य से मनुष्य के मन मे प्रेम अपनत्व को बढ़ाने का वर्ष साबित होगा।

ध्यान यह रखना है कि यह बातें सिर्फ बातें ना साबित हों इसलिए जमीनी स्तर पर संवाद स्थापित कर निरंतर प्रयास करना होगा और यह सामाजिक सद्भाव का कार्य सामाजिक सहयोग से संपन्न हो यह पहला संकल्प सबके मन और आत्मा मे होना चाहिए कि आने वाले 2047 तक विकसित भारत मे विकसित समाज की तस्वीर साफ दिखे।

” लेखक पत्रकार सौरभ द्विवेदी की कलम से “

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