By – Saurabh Dwivedi
आलोक कुमार पाण्डेय कड़े शब्दों मे राजनीतिक कटाक्ष करते हैं। जो सामान्य जन व विपक्षियों को चुभते भी हैं। इसके बावजूद भी इनका भारतीय राजनीतिक दर्शन श्रेष्ठ कहा जाएगा – Saurabh Dwivedi .
सेवा निवृत्त शिक्षकों के साथ विभिन्न विषयों पर व्यापक विचार विमर्श व उनके पिछले कई वर्षों के शिक्षण प्रशिक्षण की समाजोपयोगिता और उनकी व्यक्तिगत क्षेत्रीय पहुंच पर व्यापक चर्चा करके राष्ट्र जागरण में उनकी महती भूमिका को रेखांकित करने का सुअवसर प्राप्त हुआ ।
जाट नेता अजीत सिंह जी को अपने बेटे जयंत चौधरी से बड़ा कोई समझदार जाट न हीं दिखा और न ही मिला कि जिसे पार्टी की कमान सौंपी जा सके ? गजब है ।
मुलायम सिंह यादव जी को भी अपने बेटे अखिलेश यादव जी के आगे सभी यादव मूर्ख, न समझ, व बेकार ही लगे और केवल व केवल अखिलेश यादव और अपने खानदान को ही आगे बढ़ाने में रात दिन परेशान हैं । क्यों? गजब है ।
लालू जी तो बिहारियों को झंडु ही समझते हैं , तभी अनपढ़ बीवी, मूर्ख बेटे और परिवार के झुंड से ज्यादा बेहतर न वो यादवों को मानते हैं और न ही किसी बिहारी को ?? गजब है ।
मायावती जी को 30 साल में दूसरा कोई दलित नेता नहीं मिला जो पार्टी सम्भाल सके ??? उनकी जगह लेने व पार्टी को नेतृत्व देने के लिए उनका ” भतीजा ” ” लन्दन ” से पढ़ाई करके वापस आ चुका ।। गजब है ।
सोनिया को अपने बेटे से ज्यादा अकलमंद पूरी कॉंग्रेस में नहीं मिला।
ठीक इसी तरह देवगौड़ा जी के बाद उनका बेटा कुमार स्वामी , शरद पवार जी के बाद उनकी बेटी सुप्रिया सुले , ममता जी के बाद उनका भतीजा , स्व. करुणानिधि जी के बाद उनका बेटा स्टालिन , देश की जनता पर अकेले या फिर गठबंधन ( लूटबंधन) करके राज करने का सर्टिफिकेट लेकर पैदा हुये हैं ।
कुल मिला के ये जातिवादी और परिवारवादी-वंशवादी संगठन अपनी “जाति और क्षेत्र वालों को कैसे-कैसे बेवकूफ बनाते हैं, ये शोध का विषय है।
ये सभी जातिवादी , वंशवादी व पारिवारिक गिरोह देश की जनता को भ्रमित करके सिर्फ और सिर्फ अपना और अपने गुलामों और चाटुकारों का भला करते हैं । इन गिरोहों का कोई भी नेता देश के गरीबों, विपन्नों, व जनता और देश के विकाश की बात करता हुआ नहीं दिखेगा आपको ??? गजब है ।
चुनाव के समय ये सारे लोग मतदाता को ये बताने में लगे हैं कि वो किस जाति के हैं और कैसे समाज व राष्ट्र जाति , वर्ग , क्षेत्र, पंथ, आदि खंडों में खंड- खंड हो जाये , इस प्रयास में लगे हैं?? गजब है भाई गजब है ।
स्वजनो , जब आप आयुष्मान भारत योजना का लाभ प्राप्त करने जाते हो तब किसी ने आप की जाति पूँछी ?
उज्जवला योजना में करोड़ों गैस कनेक्शन क्या किसी की जाति पूँछ कर दिये गये ?
जब 60 साल से अंधेरे में रह रहे गावों का बिद्युतीकरण किया गया तो वहां किस जाति के लोग रहते हैं कभी पूछा ?
सौभाग्य योजना के तहत हर गरीब के घर पर बिजली का कनेक्शन क्या जाति पूँछ कर दिये गये हैं ?
32 करोड़ से अधिक जन-धन खाते खोलना , 13 करोड़ से अधिक मुद्रा योजना के लाभार्थियों का चयन क्या जाति देखकर किया गया है ?
पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा, गरीब सामान्य वर्ग को नौकरी व शिक्षा में 10 % आरक्षण , अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम में संशोधन, तीन तलाक़ पर कार्य करने में सबका साथ सबका विकास का मूलमंत्र ही केन्द्र में था ।
सेना को OROP, देश में आतंकी घटनाओं पर लगाम , दिव्य कुम्भ – भव्य कुम्भ को ही देख लो , समाज के सभी वर्गों की सुरक्षा और हित के लिए पहली बार किसी सरकार ने ईमानदारी से काम किया है ।
किसानों के संरक्षण व संवर्धन, महिला एवं बाल विकास , स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, सुरक्षा में संवर्धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक कार्य लगातार हो रहे हैं ।
पहली बार गरीबी हटाओ का नारा गला फाड़ कर लगाने की बजाय गरीबों को मूलभूत सुविधायें उपलब्ध कराने के लिए समयबद्ध सीमा तय करके सरकार संकल्पित प्रयास कर रही है । गरीबों को उनका वाजिब हक उपलब्ध कराने के लिए सरकार संकल्पित है और सरकार के संकल्प का परिणाम द्रष्टिगोचर हो रहा है ।
स्वजनो , अब हमें अपनी सोच को बड़ा करना होगा और तर्कशक्ति के आधार पर समझना होगा कि कौन देशहित , समाज हित , सर्वहित के लिए परिवारवाद , वंशवाद, जातिवाद, वोटबैंक तुष्टिकरण की नीति से ऊपर उठकर काम कर रहा है और करेगा ।
आइये हम सब मिलकर भारतीय राजनीतिक पटल से वंशवाद, जातिवाद, परिवारवाद, नक्सलवाद, अलगाववाद , वोटबैंक तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले राजनैतिक दलों व नेताओं को अवसान देते हुए सिर्फ और सिर्फ राष्ट्र व समाज के सर्वागीण विकास के मूलमंत्र पर कार्य करने वाली राजनीति को स्थापित रखने के लिए सक्रिय प्रयास करें ।
( ये विचारक के व्यक्तिगत विचार हैं)