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@Saurabh Dwivedi

सर्वप्रथम शुरूआत रक्षाबंधन के पर्व से करनी होगी , एक सामाजिक नजर राखी बंधवाते नेता पर डालनी होगी। अगस्त 2020 का रक्षाबंधन ना सिर्फ राजनीतिक रूप से अपितु सामाजिक रूप से भी विशेष हो गया। इस बार एक साधक ने राजनीतिक कर्म और सामाजिक कर्म को एक साथ साधा है , रिश्ते की एक नई परिभाषा को राजनीति के सांचे मे ढाल दिया है। जिसकी कल्पना फौरी तौर पर चित्रकूट के अंदर किसी भी राजनीतिज्ञ से नहीं की जा सकती थी , जो यहीं मऊ – मानिकपुर में ना सिर्फ घटित हुई अपितु नई राजनीतिक चेतना की वाहक सिद्ध हो रही है। इस बीच बिजली समस्या एवं कार्यालय से नदारद अधिकारी पर विधायक का जनता की आवाज बनकर उभरना भी महत्वपूर्ण है। इन्हीं सब घटनाओं के मद्देनजर उपचुनाव का ऐतिहासिक बन जाना सुनिश्चित होने लगता है।

हाल ही में विधायक आनंद शुक्ला सीडीपिओ कार्यालय पहुंचते हैं और उन्हें साहब उपस्थित नहीं मिलते हैं , तो उनका नैतिक कर्तव्य था कि जानकारी ली जाए। किन्तु ना उपस्थिति पंजिका मिली ना भ्रमण पुस्तिका मिली। जब कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी तब विधायक ने जिलाधिकारी को अवगत कराकर कार्रवाई करने का आह्वान किया। यह घटना चित्रकूट के राजनीतिक क्षितिज में साधारण नहीं है , चूंकि यहाँ स्थानीय स्तर पर किसी भी लापरवाह अधिकारी के साथ जनप्रतिनिधि के द्वारा ऐसा कदम नहीं उठाया गया , जिसकी सख्त आवश्यकता थी।

एक अधिकारी पर जनप्रतिनिधि का मानसिक दबाव विस्तृत व्यापक सकारात्मक असर डालता है। चूंकि जनप्रतिनिधि जब ऐसा सख्त कदम उठाता है तो जनता के लिए चुनौतियां कम हो जाती हैं। उसके काम सरलता से अफसर करने लगते हैं और उसका आत्मविश्वास जाग जाता है , अच्छा सिर्फ यह होता है कि एक अफसर मानसिक दबाव में जनता के साथ अच्छा व्यवहार करता है। चूंकि उसके मन मे भय होता है कि यदि मेरी शिकायत जनप्रतिनिधि तक पहुंच गई तो मुझ पर भी कोई कठोर कार्रवाई हो सकती है। असल में जनप्रतिनिधि की अवधारणा ऐसे ही संतुलन स्थापित करने के लिए है।

इसलिए यह प्रतीत होता है कि एक उम्दा कार्यशैली के विधायक हैं आनंद शुक्ला , ऐसा इसलिए कि पिछले दिनों किसान और आम जनता बिजली से त्रस्त थी तो उन्होंने बिजली विभाग के सबसे बड़े जनपदीय अफसर से साफ लफ्जों में कहा यदि जनता को बिजली नहीं तो आपको भी यहाँ गांव मे प्रवास करना पडेगा , जनता को विधायक के ये लफ्ज बहुत प्यारे लगे हैं। जब जनता अपने प्रतिनिधि की ऐसी हुंकार भरी आवाज सुनती है तो उसका उत्साह दुगना हो जाता है और असर दूर तलक तक जाता है।

जैसे जंगल मे शेर की धमक होती है , उसकी दहाड़ होती है। जंगल में शेर की सत्ता स्वयं अहसास होने लगती है। डिस्कवरी चैनल का दृश्य याद करें तो शेर के गुफा से निकलते ही तमाम पशु – पक्षी सुरक्षित ठिकाना तलाशने लगते हैं , वैसे ही जनप्रतिनिधि की अवधारणा है कि जब प्रतिनिधि जनता के लिए आवाज दे तो सबकुछ सुरक्षित और व्यवस्थित हो जाना चाहिए। ऐसे ही तमाम दृश्य आनंद शुक्ला के विधायक बनने के बाद से चित्रकूट मे नजर आए हैं। उन्होंने समय-समय पर अहसास कराया कि हाँ जनप्रतिनिधि है !

समर्थकों संग राखी बंधवाते विधायक

एक मुहब्बत की बात अवश्य करनी चाहिए। भाई – बहन के प्रेम की बात अवश्य करनी चाहिए। संभवतः मेरी स्मृति में आनंद शुक्ला यहाँ के पहले ऐसे विधायक हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र की बहनों से राखी बंधवाई है। बहनों को सगुन मे उपहार भी दिए। लेकिन यह बहुत बड़ा संदेश है और एक अच्छी सकारात्मक राजनीति की द्योतक घटना है। रक्षाबंधन का अर्थ ही है कि बहन अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधकर भाई को आशीर्वाद प्रदान करती है व भाई – बहन दोनों के एक – दूसरे की रक्षा के लिए वचनबद्ध हो जाते हैं , रक्षा आत्मसम्मान की और स्वाभिमान की। अब इस विधानसभा मे भाई – बहन दोनों एक-दूसरे की रक्षा हेतु प्रतिबद्ध हो चुके हैं और रक्षा का अर्थ ही है कि अधिकार और कर्तव्य की रक्षा होना , जिसमे एक सुखद जिंदगी की परिकल्पना साकार होती है।

तो साफ कहा जा सकता है कि आनंद शुक्ला ने राजनीति को सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से बखूबी साध लिया है। उन्होंने उपचुनाव से कम समय में जितने प्रयास किए हैं उतने तीव्र प्रयास पूर्व में बहुत कम नजर आए हैं। महामारी के प्रथम चरण मे सेवाभाव की बदौलत चर्चा जनपद भर मे होने लगी तो वहीं इस रक्षाबंधन के बाद विधायक की संभावनाओं का विस्तार हुआ है और लोगों की उम्मीदें भी जुड़ने लगी हैं।

यह सत्य है कि इनकी युवा राजनीति ने जनपद चित्रकूट एवं बांदा जनपद तक राजनीतिक चेतना को जागृत किया है। कार्य की बदौलत चिंतन शुरू हुआ है तो वहीं कुछ सरकारी – गैरसरकारी सेवक चिंता मे भी डूबे हैं , चूंकि लोगों को यह अहसास हो रहा है कि इस विधायक जैसी जनसेवा कैसे कर पाएंगे ? इतनी कार्यक्षमता कहाँ से लाएंगे ? सबसे बड़ी बात राजनीति में आनंद शुक्ला जैसी सोच का आना ही बुद्धि – शुद्धि यज्ञ की शुरूआत मान ली जाती है। यह साफ नजर आ रहा है कि राजनीति के सफर में श्रीशुक्ला मऊ – मानिकपुर के क्षितिज को भविष्य के पांच – दस वर्षों में शीघ्र ही प्रदेश स्तर व केन्द्रीय स्तर पर ले जाएंगे और वहीं से जनता की उम्मीदों को पूर्ण करता इंद्रधनुष नजर आएगा. इनकी कार्यशैली व अद्भुत कार्यक्षमता की बदौलत साफ नजर आ रहा है कि आनंद शुक्ला का राजनीतिक अश्व एक अश्वमेध यज्ञ की तरह देश – प्रदेश में विचरण करेगा अर्थात यह राजनीतिक सफर की शुरूआत भर होकर भविष्य में प्रादेशिक – राष्ट्रीय स्तर पर आनंद शुक्ला की राजनीति उदित होगी।

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Karwi Chitrakoot }

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