चांद सबसे खूबसूरत सपना है। गगन की ओर नजरें दौड़ती हैं कि रात मे चांद दिखाई देता है। दूधिया रोशनी का चांद जो पृथ्वी लोक को रौशन करता है। चांद की चांदनी उससे अधिक प्रसिद्ध है।
ज्योतिषीय दृष्टि से विचार करें तो मानव जीवन मे चंद्रमा गृह का व्यापक असर पड़ता है। ज्योतिष के जानकार चंद्रमा किस घर मे बैठा है यह देखकर भविष्य का आकलन करने लगते हैं।
इसलिए यह संसार धार्मिक आध्यात्मिक और भौतिकता का सार तत्व है। चूंकि वैज्ञानिक चांद को पृथ्वीलोक जैसा ही एक गृह कहते हैं और चन्द्रयान – 3 के सफल लैंडिंग से पूरा भारत देश खुशी के माहौल मे है।
इससे अंतरिक्ष मे भारत देश की ताकत बढ़ेगी। विश्व मे भारत शक्तिशाली राष्ट्र के रूप मे अपनी बात रखेगा। चूंकि अन्य तमाम देशों को अपने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए भारत के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी।
इसरो के महान वैज्ञानिकों ने जो सफलता दर्ज की है उससे देश का मान बढ़ा है। अमरीका , चीन और रूस के बाद भारत चंद्रमा पर पहुंचने वाला देश बना। और दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है।
सामान्य जानकारी के अनुसार दक्षिणी ध्रुव सबसे खतरनाक क्षेत्र है। जहाँ उबड खाबड जगहें हैं। पर्वत होने की संभावना भी है। तो साफ्ट लैंडिंग के हिसाब से यह बहुत कठिन लक्ष्य था जिसे वैज्ञानिकों ने कर दिखाया।
महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष दिव्या त्रिपाठी कहती हैं कि विज्ञान के क्षेत्र मे हमारे वैज्ञानिकों ने हमेशा इतिहास रचा है। चंद्रयान 3 की साफ्ट लैंडिंग से संपूर्ण विश्व मे हमारे देश की चर्चा है और भारत एक सशक्त समृद्ध राष्ट्र के रूप मे विश्व बिरादरी के रूप मे जगह बना चुका है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र के प्रधानमंत्री दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग से लाइव होकर सभी वैज्ञानिकों को बधाई संदेश दिए और फोन द्वारा सीधे बात कर प्रोत्साहन प्रदान किए। इस सफलता पर संपूर्ण देश एक दिखा और यकीनन सफलता ऐसी ही एकता से प्राप्त की जा सकती है।
पीएम मोदी का खास संदेश
“यह पल अविस्मरणीय है , अभूतपूर्व है , विकसित भारत के शंखनाद का है। यह क्षण नए भारत के जयघोष का है। यह क्षण जीत के चंद्रपथ पर चलने का है , यह क्षण 140 करोड़ धड़कनों के सामर्थ्य का है। यह क्षण भारत मे नई ऊर्जा , नए विश्वास , नई चेतना का है। यह क्षण भारत के उदयमान भाग्य के आह्वान का है। हम अपनी आंखो के सामने ऐसा इतिहास बनते हुए देखते हैं तो जीवन धन्य हो जाता है। ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं राष्ट्रीय जीवन की चिरंजीवी चेतना बन जाती हैं।
निश्चित रूप से 1969 मे इसरो की स्थापना जिस उद्देश्य से की गई वह आज इस उपलब्धि के साथ विश्व मे अपना लोहा मनवा रहा है। अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने भी ट्विट कर इसरो को बधाई दी।
साफ्ट लैंडिंग के बाद देश भर मे बधाइयों का दौर शुरू रहा है तो भाजपाइयों ने सड़क पर निकल तिरंगा हाथो पर लेकर प्रदर्शन कर खुशी जताई।
अब उम्मीद जीवन की है। चांद पर जीवन की खोज। दक्षिणी ध्रुव के अंधकार से प्रज्ञान और विक्रम बताएंगे कि यहाँ पानी की कितनी संभावना है और मनुष्य जीवन के लिए कितनी संभावनाए हैं।