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चित्रकूट : पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र ने पीएम हाउस मे धरना दिया जहां गरमागरम माहौल नजर आया। असल मे सड़क दुर्घटना मे दो युवकों की जान चली गई। पुलिस के ऊपर यह आरोप है कि घायल युवकों को अस्पताल ना ले जाकर सीधा पीएम हाउस भेज दिया। बस इसी को लेकर पूर्व सांसद ने परिजनों के साथ लामबंद धरना शुरू कर दिया। जिसका विश्लेषण बिन्दुवार जानने से ही स्पष्ट होगा पूरा मामला

■ पुलिस की गलती : भरतकूप थाना क्षेत्र मे स्कार्पियो और डंपर की भीषण टक्कर हो गई जिसमे स्कार्पियो आगे से पूरी तरह डैमेज हो गई जिस तरह से स्कार्पियो डैमेज दिख रही है वैसे मे कोई नही कह सकता कि युवक जिंदा बचे होंगे फिर भी कानूनी आधार पर युवकों को पहले नज़दीकी अस्पताल ले जाना चाहिए था और यहीं पुलिस की चूक सामने आई।

चश्मदीदों का कहना है कि आनन-फानन मे जेसीबी बुलाकर पुलिस ने शव निकाला और सीधा पीएम हाउस भेज दिया। जिसकी खबर पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र को लगी तो वह पीएम हाउस पहुंचे जहां परिजनों के साथ धरना शुरू कर दिया।

■ कानूनी कार्रवाई : मामले की नजाकत को देखते हुए पुलिस अधीक्षक वृंदा शुक्ला ने एसआई इमरान को फौरन सस्पेंड कर जांच के आदेश कर दिए। लेकिन पूर्व सांसद इस बात के लिए अड़े रहे कि एसओ को निलंबित करो जिसे लेकर कानूनी आधार कुछ अड़चने सामने आ रही थीं। तो शुरूआती दौर मे पुलिस अधीक्षक वृंदा शुक्ला यह निर्णय तत्काल नही ले सकीं जिसे लेकर पूर्व सांसद काफी भड़क गए और चर्चा उपरांत बाहर निकलकर एसपी को बोले कि वह थानाध्यक्ष भरतकूप से ज्यादा पैसा लेती है , यह टर्निंग प्वाइंट था कि सीधा एसपी वृंदा शुक्ला पर इस तरह आरोप लगाया गया।

लेकिन पुलिस अधीक्षक वृंदा शुक्ला मीडिया को दिए गए बयान संयमित नजर आईं और जांच कर कार्रवाई करने की बात कहती रहीं। और चौबीस घंटे बाद थानाध्यक्ष भरतकूप को सीओ लाइन मे अटैच करने की सुर्खी सुनाई देने लगी। जिसको लेकर भ्रम हुआ कि पुलिस लाइन अटैच किया है।

■ सीओ सिटी हर्ष पांडेय हुए भावुक : शुक्रवार को एक पल ऐसा भी आया जब सुनाई दिया कि सीओ सिटी हर्ष पांडेय बेहद भावुक हो गए और वह प्रदर्शनकारियों से धैर्य रखने की अपील करते नजर आए कुछ लोगों का कहना था कि सीओ की आंखे सजल हो गई थीं। कारण यह था कि पहले लोगों ने सुना कि भरतकूप थानाध्यक्ष को पुलिस लाइन हाजिर किया गया है बाद मे सुनाई दिया कि सीओ लाइन अटैच किया गया है तो लोग पुनः पोस्टमार्टम हाउस के अंदर आक्रोशित होकर प्रवेश करने लगे और एक बार फिर पोस्टमार्टम होने से रोका गया।

जिसे लेकर सीओ सिटी हर्ष पांडेय से काफी कहासुनी हुई। इस दौरान भीड़ मे से कुछ अपशब्दों की बात भी सुनने मे आई और शायद ऐसा ही आक्रोशित प्रदर्शन देखकर सीओ सिटी हर्ष पांडेय भावुक हुए लेकिन अंततः वह भीड़ को साधने मे कामयाब रहे। सभी को समझा बुझाकर और आश्वासन देकर पुनः पोस्टमार्टम करवाने को राजी कर लिए।

■ अनुत्तरित हैं सवाल के जवाब : जिस प्रकार से एसपी वृंदा शुक्ला पर पैसा लेने का आरोप लगा उस सवाल का पुख्ता जवाब कहीं से भी नही मिल रहा जबकि जरूरी है कि सवाल का जवाब मिलना चाहिए क्योंकि जनता का पुलिस पर जो भरोसा है एक बड़े अधिकारी पर आम गरीब जनता का भरोसा होता है उसे लेकर लोकतंत्र मे इस सवाल का पटाक्षेप होना सबसे आवश्यक नजर आता है कि स्पष्ट हो कि पैसे लिया जाता है अथवा नही ! और सवाल जवाब मे पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र व पुलिस अधीक्षक वृंदा शुक्ला मुख्य किरदार हैं परंतु विश्वास का खंजर जनता के सीने पर लगेगा जिसका सही जवाब अवश्य मिलना चाहिए कि कहीं क्रोध मे तो नही बोल गए पूर्व सांसद और कोई सबूत ना होने पर इस तरह का व्यक्तिगत हमला अक्सर राजनीति मे बैकफुट पर भी ले जाता है।

■ राजनीति और कानून के बीच लोग क्या कह रहे हैं : चूंकि ये मामला पूरी तरह से राजनीति और कानून का है। राजनीति हमेशा अपनी स्टाइल मे होती है लेकिन कानून संविधान से चलता है। किसी अधिकारी पर कानूनी कार्रवाई करने से पहले उसके खिलाफ पुख्ता सबूत होने वैसे ही आवश्यक हैं जैसे बुखार होने पर ही डाक्टर पैरासिटामोल दे सकता है तो कानूनी कार्रवाई करने मे जितना समय लगा उतने समय मे पूर्व सांसद धरने पर डटे रहे जिसे न्याय की लड़ाई कहा गया। जबकि लोगों से सुना गया कि अगर इसमे कोई आर्थिक मदद की मांग होती तो बहुत अच्छी बात लगती लेकिन यह अलग तरह की जिद नजर आ रही है तो वहीं कुछ लोग यह कहते रहे कि अपनी ही सरकार के खिलाफ खुलकर बोलने के मामले मे पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र वरूण गांधी की तरह हो चुके हैं जिसे लेकर लोगों ने उन्हें वरूण गांधी की उपाधि भी दे डाली।

■ जिलाध्यक्ष और पूर्व सांसद मे हुई बहस : इस धरने की सबसे ज्यादा वायरल टाक यही रही कि भाजपा के जिलाध्यक्ष लवकुश चतुर्वेदी और पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र मे तीखी बहस हो गई। दोनों मे धरने को लेकर मतभेद सामने आए जिससे पार्टी लाइन और पार्टी लाइन के बाहर का अंतर साफ हो गया। क्योंकि नेता अक्सर पार्टी लाइन के आधार पर ही धरना प्रदर्शन आदि करते हैं बहुत कम ऐसे मौके होते हैं जब जनता के नाम पर ऐसे धरना प्रदर्शन दिखा करते हैं।

दोनों मे हुई तीखी बहस से लोग वो समय याद करने लगे जब भाजपा जिलाध्यक्ष लवकुश चतुर्वेदी बगावत कर खुद को असली भाजपा कहते हुए जिला पंचायत का चुनाव लड़े थे तो उस समय मजबूत नेता पूर्व विधायक भैरों प्रसाद मिश्र के खिलाफ पहाड़ी से लेकर जिला पंचायत तक नकली भाजपाई और मुर्दाबाद के नारे लगे थे। और इसके बाद समय ऐसा आया था कि मिश्र परिवार बसपा मे चला गया था। लेकिन लवकुश चतुर्वेदी भाजपा मे ही बने रहे थे और आज 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले लवकुश चतुर्वेदी भाजपा जिलाध्यक्ष हैं , जिन पर यह आरोप लगाया गया है कि बातचीत कराने का तरीका अच्छा नही है। ऐसी चर्चा है कि सही तरीका ना होने से ही माहौल गरमा गया लेकिन अतीत भी काफी असरदार समझ आया।

■ पूर्व और वर्तमान मे बंटी भाजपा : वर्तमान जनप्रतिनिधि पार्टी लाइन के आधार पर काम कर रहे हैं। और सत्ता की शक्ति से जनता की समस्या सुलझाने के लिए प्रयासरत दिखते हैं लेकिन एकाध मौके ऐसे आते हैं जब पूर्व वर्तमान को विलेन बताते नजर आते हैं। इस पूरे मामले पर भी इनसाइड स्टोरी यही रही कि पूर्व वाले सब डटे हैं और वर्तमान कहां हैं ? तो पहले दिन ही वर्तमान सांसद आरके सिंह पटेल पोस्टमार्टम हाउस तक आए परिजनों से बात की और पुलिस अधीक्षक वृंदा शुक्ला से कड़ी कार्रवाई करने को बोले भी। इसके बाद कुछ समय के लिए पूर्व विधायक आनंद शुक्ला और पूर्व राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय दिखे लेकिन कुछ ही घंटो मे दोनों किसी कारणवश धरने से चले गए और पुनः नजर नही आए।

■ जनता को न्याय और राजनीति को माइलेज : पहली बात नेता ऐसे ही होने चाहिए जो इस तरह की लड़ाई हमेशा लड़े जिससे प्रशासन पर दबाव बना रहे और वह जनता के लिए ठीक तरीके से काम करे लेकिन ऐसे मौके यदाकदा ही सामने आते हैं चूंकि राजापुर से कर्वी पहाड़ी नेशनल हाइवे पर ऐसी सैकड़ों दुर्घटना हो चुकी हैं लोग मर चुके हैं और जनपद मे गल्ला मंडी के पास एक बच्ची को ट्रक ने सरेआम रौंद दिया था लेकिन तब इस तरह का धरना पूर्व सांसद ने भी नही दिया जबकि जनपद मे हजारों मौत सड़क दुर्घटना मे इन 5 वर्ष में होती रही हैं। इसलिए भरतकूप के इस मामले पर पुलिस की चूक के बाद धरने को लेकर चुनावी कयास भी लगाए जा रहे हैं।

■ सीएम योगी को देंगे सही रिपोर्ट : धरना समाप्त होने के बाद पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र ने कहा कि जनपद से सीएम को गलत रिपोर्टिंग हो रही है। इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ से मेरी बात हुई है अब शीघ्र ही मुलाकात होगी तो उन्हें मैं सही रिपोर्टिंग करूंगा और चलते चलते एसपी पर फिर तंज कसा कि उन्हें इगो बहुत है भगवान कामतानाथ उन्हें सद्बुद्धि दें। इस पूरे प्रकरण पर समर्थक लामबंद हो चुके हैं भले कोई कहे कि इसके चुनावी कारण नही हैं लेकिन असल बात समर्थक ही करते हैं जो 2024 के कयास लगा रहे हैं।

लेखक / पत्रकार सौरभ द्विवेदी की कलम से

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