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By :- Saurabh Dwivedi

महात्मा गांधी ने गुलामी काल में ही कहा था कि मेरे सामने विविध पत्रों के ऐसे उद्धरण हैं , जिनमें हकीकत को गलत ढंग से पेश किया गया है। उन्होंने बड़ा विचार दिया था कि निरंकुश कलम का प्रवाह भी नाश करता है। परंतु अंकुश आंतरिक हो और स्वैच्छिक हो तो यह लेखक / पत्रकार के व्यक्तित्व पर चार चांद लगाता है। जनता का विश्वास उस पर बना रहता है। परंतु सोशल मीडिया के दौर पर डिजिटल वर्ल्ड में कुछ ऐसे लोग भी सक्रिए हुए जिनकी कलम निरंकुश है। अथवा कट , काॅपी और पेस्ट से भानुमति के कुनबा की तरह खबरें परोसी जाने लगीं। हाल-फिलहाल सरकार निरंकुश कलम पर अंकुश लगाने हेतु सक्रिय दिख रही है।

केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बयान दिया कि अब वेब पोर्टल का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। प्रकाशन क्षेत्र के अधिनियम में समाचार पत्र , पत्रिका और वेब पोर्टल को एक सूत्र में बांधने कि प्रयास किया जा रहा है। इसके दूरगामी परिणाम मिलेंगे।

सर्वप्रथम असर उन लोगों पर पड़ेगा जो वेब पोर्टल बनाकर हकीकत को गलत तरीके से पेश करते हैं। मनमाने तरीके से लिखकर ब्लैकमेलिंग के खेल से लेकर समाज में स्लो प्वाइजन घोलने का काम करते रहे हैं।

तमाम ऐसे लोग सक्रिय रहे जो गलत तथ्य के साथ फेसबुक और व्हाट्सएप आदि सोशल प्लेटफार्म से पोस्ट काॅपी कर उसे फारवर्ड कर लोगों के मन – मस्तिष्क में जहर घोलते रहे। जिससे नकारात्मक परिवेश का जन्म होता चला जा रहा है।

समाज को नकारात्मक परिवेश से बचाने के लिए सरकार की जिम्मेदारी बनती है। डिजिटल टाइम में यह आवश्यक हो गया था कि कुछ अंकुश हो सके। जिसकी चिंता समय – समय पर महात्मा गांधी से लेकर प्रत्येक महापुरूष ने जतायी थी।

किन्तु यह महज सरकारी काम नहीं है। व्यक्तिगत आंतरिक परिवर्तन लाना भी जिम्मेदारी है। उन लोगों को समझना चाहिए कि आपके कट – काॅपी और पेस्ट से समाज कितना कट – काॅपी , पेस्ट हो रहा है। लोगों के मन में गलत व नकारात्मक और विध्वंसक जानकारी भरने से बड़ा सामाजिक नुकसान करते चले जा रहे हैं।

बहुत सारे ऐसे लोग भी सक्रिय हैं , जिन्हें पत्रकारिता का सामाजिक दर्शन भी पता नहीं है। वह सिर्फ और सिर्फ अफसरों की चाकरी करने के लिए पतली स्याही का प्रयोग करते जा रहे हैं। इन लोगों ने चाटुकारिता की हद पार कर मानसिक गुलामी स्वीकार कर रखी है। जिससे आम आदमी के हितों का लगातार बड़ा नुकसान होता चला जा रहा है।

कलम हमेशा अच्छे व्यक्तित्व के हाथ में शोभा देती है। जो लोक के लिए होकर लोकमत को सही दिशा प्रदान करने का विचार रख सके। साथ ही लोकमत का भी कर्तव्य है कि वह निरंकुशता पर अंकुश लगाए। भ्रामक तथ्यों से भरी हुई जातीय – धार्मिक हिंसा से युक्त खबरें व विचार हमेशा से मानवीय पहलुओं के खिलाफ रहे हैं।

बेव पोर्टल रजिस्ट्रेशन होने से खबरिया परिक्षेत्र में जिम्मेदारी का अहसास होगा। जिससे स्वयं ही बहुत सारा अंकुश लग जाएगा। किन्तु पत्रकार / लेखकों को स्वयं भी जिम्मेदारी महसूस कर समाज को अच्छी दिशा प्रदान करने के लिए कलम का प्रयोग करना चाहिए।

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