By – Saurabh Dwivedi
समय की मांग है कि पृथ्वी पर वृक्ष अधिक से अधिक लगाए जाएं एवं जनसंख्या कम करने की जरूरत है। प्रकृति और पृथ्वी संयुक्त संगिनी हैं , जो मानव को जीवन प्रदान करती हैं। ग्लोबल वार्मिंग का खतरा चहुंओर मडरा रहा है , तो स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर वृक्षा रोपण से बेहतर कुछ और हो नहीं सकता।
किन्तु रोपण जितना सरल है उतना ही कठिन है , एक वृक्ष का जीवन अक्षुंड रखना। जिस प्रकार से हमने आजादी प्राप्त की और उसकी अक्षुंडता बरकरा रखी , उस प्रकार से मावन जीवन के लिए वृक्षा रोपण प्रदूषण से आजादी की क्रांति है।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कुछ ऐसी ही मंशा से जिलाधिकारी चित्रकूट विशाख जी ने पत्रकारों के संग वृक्षारोपण कर संदेश दिया है। इस संबंध में जब चित्रकूट प्रेस क्लब के जिला अध्यक्ष सत्यप्रकाश द्विवेदी से चर्चा हुई तो वे अपने छात्र जीवन का संस्मरण साझा करने लगे कि जब – जब अवसर मिला स्वतंत्रता दिवस को विशेषतया वृक्षा रोपण किया।
उन्होंने कहा कि जंगल का दोहन होता रहा और प्रकृति के साथी ” मानव ” वृक्ष रोपने में उदासीन होता गया। परिणामस्वरूप इस वर्ष ही ऐसी विकराल गर्मी का सामना करना पड़ा , जो असहनीय है। इस सोच को भी विस्तार दिया कि नागरिक सिर्फ यह ना सोचे कि सरकार का काम है। बल्कि प्रकृति प्राचीन काल से किसी सरकार के भरोसे नहीं रही , सरकार का अस्तित्व इतिहास में बहुत पुराना नहीं है।
प्रकृति की जिम्मेदारी मानव की है और स्वभाव से प्रकृति मानव के प्रति ईमानदार है। हम जितना परिश्रम प्रकृति के लिए करते हैं , प्रकृति मानव को आक्सीजन व स्वच्छ वातावरण प्रदान कर उतना अधिक उपहार स्वरूप प्रदान करती है।
वृक्षारोपण का संदेश देते हुए जिले के पत्रकार जियाउल हक , राजकुमार याज्ञिक सहित सभी प्रसन्न मुद्रा में दिखे। वास्तव में प्रकृति ही जीवन में उदासी के वक्त होठो पर मुस्कान बिखेर देती है। इसलिये स्वतंत्रता दिवस जैसे अवसर पर जिलाधिकारी एवं प्रेस क्लब चित्रकूट का संदेश वायु के संग गतिमय हो प्रवाहित होता रहेगा।