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By :- Saurabh Dwivedi

आप एक ही व्यक्ति को आजीवन प्रेम नहीं कर सकते हैं , पर एक ही व्यक्ति को आजीवन प्रेम कर सकते हैं लेकिन तब , जब आपको वास्तव मे प्रेम हो गया होता है।

जिस पल किसी व्यक्ति से वास्तव मे प्रेम हो गया , उसी पल से प्रेम आजीवन एक व्यक्ति के लिए अविरल रहेगा।

ऐसा इसलिए कह रहा हूँ कि अनेक बार पढ़ा और सुना कि कोई भी व्यक्ति आजीवन किसी एक व्यक्ति से प्यार नहीं कर सकता। उसे अनेक बार प्यार हो सकता है या ऐसा होता ही है ! कि एक बार प्यार महसूस होने के बाद , किसी एक व्यक्ति के लिए प्रेम की अति होने लगती है और अति की गित , इति पर ठहर जाती है।

एक बार फिर कुछ समय बाद वह व्यक्ति किसी और से प्रेम करने के लिए तैयार हो जाता है। वह स्वयं को तैयार पाता है कि उसे प्रेम कर लेना चाहिए। किसी मे वह पुनः प्रेम तलाशने लगता है , एक सुकून के अहसास में !

कोई उससे टकरा गया तो पहले आकर्षण में प्रेम महसूस करने लगता है। किसी का चेहरा , बोली – भाषा , नैन – नख्श तनिक पसंद क्या आए कि दिल हार बैठता है। वह पुनः प्रेम मे हो जाता है और बात यदि बन गई तो एक आदर्श प्रेमी के रूप मे स्वयं को हर बार प्रस्तुत करता है।

वैसे प्रेम का प्रस्तुतिकरण इस दुनिया में सबसे लाजवाब सुखदायक और स्वादिष्ट होता है। इस प्रेम – सुख का पान कर इंसान स्वयं को आनंदित समझता है। इन पलों में वह वीरान जंगल मे भी मंगलमय जीवन महसूस करता है। एकांत में संग – संगिनी के संग सुख के अप्रतिम पल बिता रहा होता है।

प्रेमी – प्रेमिका की बांहो मे दुनिया का सबसे गहरा सुख अंतर्मन से महसूस कर रहा होता है। ऊर्जा का संचार अंधेरे को प्रकाश से भरकर , जैसे घना अंधेरा हो और एकाएक बिजली आ जाए तो हमारा मन देह के रोम रोम में खुशी का संचार महसूस करता है। बिजली आने का सुख और बिजली चली जाने का पल भर का दुख जीवन में सबको महसूस होता है , मुझे भी ! ऐसा ही सुख प्रेमी – प्रेमिका के आलिंगन से अंतर्मन मे  संचरित ऊर्जा से महसूस हुआ करता है , जो अंदर ही अंदर प्रकाशित कर रहा होता है।

क्यों बिन प्रेम के स्वयं को अंधेरे मे महसूस करते हैं ? एक अकेलापन महसूस करते हैं ! प्रेम रहे हों और प्रेम संबंध खत्म हो जाने का अहसास हो तो पल भर में पागलपन सा महसूस करने लगें कि अरे ! अब मेरी जिंदगी का क्या होगा ?

सुख कैसे मिलेगा ? वह सुख अब किसी और मे कहाँ ? चूंकि अंदर जो ऊर्जा होती है , वह व्याकुल हो चुकी होती है। एक ऊर्जा से एक ऊर्जा का मिलन सुख बन जाता है। इसी सुख के लिए प्रेम बिन व्याकुलता व्याप्त हो जाती है। इसलिये तो कुछ लोग हार जाते हैं , कुछ ठहर जाते हैं और कुछ फिर सफर शुरू करते हैं।

कुछ समय बाद स्मृति से चेतना कम होने लगती है। समय बीतने के साथ पल भर के लिए उस प्रेम को भूल जाना होता है फिर एक ऐसा समय आता है कि वह स्वयं को पुनः किसी और से प्रेम के लिए तैयार पाता है !

ऐसे तमाम प्रेम किस्से हाट बाजार में बोली – भाषा की चर्चा मे सुनाई देते रहते हैं। सबसे ज्यादा खनकती आवाज दबी जुबां में प्रेम किस्सों की ही है। कुछ आवाजें दमित रहती हैं , सीने के अंदर टूटती सांस के पल तक ! प्रेम भाव है ही ऐसा।

अनेक बार प्रेम हो सकता है पर एक बार प्रेम होने के बाद फिर कभी प्रेम होने की गुंजाइश नहीं रह जाती है ,प्रेम नहीं होता। प्रेम की सूई जहाँ अटक गई , वहाँ अटक गई। वो धड़कन मे टिक – टिक करती है। बेशक जीवन में वह प्रेम नजरों से ओझल हो जाए या मिलन असंभव हो फिर भी यदि मानसिक लगाव है और प्रेम को प्रेम के वास्तविक तल से स्पर्श कर महसूस किया तो अंतिम सांस तक वह प्रेम मरता नहीं , जिंदा रहता।

फिर प्रेम बार – बार नहीं होगा , एक बार होगा बस। बशर्ते प्रेम समाज की बगिया में खिली धूप में फल की भांति फलने और पुष्प की भांति खिलने पाता। उसकी मुलायमता – कोमलता को मखमली अहसास से महसूस किया जाता तो एक बार प्रेम होने के अहसास से संसार सचमुच प्रेम से बागबान रहता।  प्रेम मे सफलता का रहस्य है , प्रेम मे जीवन ऊर्जा का भंडार है। वही प्रेम अकेलेपन में भी मौजूदगी अहसास कराता है और पहला प्रेम ही प्रेम होता है कि सत्यता को यथार्थ रूप से सिद्ध कर देता है।

यह तलाश की बात है , महसूस करने की बात है कि आपका पहला प्रेम कौन सा है ? आपको पहले पहला प्रेम हुआ या बाद में ! या फिर अभी तक पहला प्रेम हुआ ही नहीं। जिसके संग हो आप , आवश्यक है कि वह आपका प्रेम ही है। चूंकि आवश्यकता और प्रेम मे वैसे ही अंतर है , जैसा नाला और नदी में अंतर है। नाला आवश्यकता है और नदी आवश्यकताओं की पूर्ति करती है परंतु वह प्राकृतिक है और नाला भौतिक निर्माण है। अर्थात प्रेम प्राकृतिक होता है तो वह प्राकृतिक प्रेम ही पहला प्यार होता है , पहला प्यार – अंतिम प्यार होता है।

जीवन की पूर्णता के लिए जीवन मे एक बार प्रेम होना आवश्यक है। जिसे भी जीवन मे एक बार प्रेम हुआ है , समझ लो पल भर के लिए सही जीवन अस्तित्व महसूस हुआ है। प्रेम और जीवन का अस्तित्व पल भर मे है।

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