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एक मच्छर ने घुटने के पास काट लिया। सूई की नोक जैसी चुभन आदमी को महसूस हुई उसने देखा मच्छर उड़ रहा है। आदमी बड़ा निर्दोष था लेकिन करे तो करे क्या ?

उड़ता हुआ मच्छर निर्दोष आदमी को पुनः काटने के लिए दिशा बदलने लगा जैसे मच्छर ना हो जेट प्लेन हो , आदमी की नजर मे काफी तंदुरुस्त मच्छर था।

कृपया दान दीजिए

बड़े बड़े पंख फैलाए मच्छर हाथी की तरह सूड निकाले था। वह बस काट ही लेता कि आदमी ने एक चपट मारी जो खुद आदमी को लगी और आदमी की जांघ मे खून था।

रक्त पीने वाले मच्छर के मरने पर खून ही निकलता है पर मच्छर की देह मे मांस नही होता है उसका शव छत विछत हो जाता है।

इसी मच्छर को देखा जाए तो गुनगुनाता बहुत है। मच्छर हमेशा इसलिए गुनगुनाता है कि मैं मच्छर असरदार बहुत हूं जैसे पत्रकारिता मे खबर का असर।

खबर का असर खबरें पढ़ने से ज्यादा पढ़नी पड़ती हैं और अब तो ढिमका समाचार को धन्यवाद भी देना पड़ता है इसलिए गुनगुनाता होता है कि मैं बड़ा असरदार हूं हमारी खबर का बड़ा असर है।

यकीनन आदमी मच्छर के गुनगुनाने से सावधान हो जाता है। गुनगुना कर मच्छर बता देता है कि मैं आ रहा हूं वैसे ही मच्छर की तरह खबर और खबर का असर बता देते हैं कि मैं क्या हूं ? और निर्दोष आदमी ठहाका लेता है तो कभी चपत भी लगा देता है लेकिन मच्छर है कि काटने से मानता नही चूंकि आदत है मच्छर की !

लोगों ने ऐसे मच्छरों से निजात पाने के लिए गुड नाइट , आलआउट और जाने कौन-कौन सी अगरबत्ती का प्रयोग कर डाले यहां तक कि मच्छरदानी तक का प्रयोग किए किन्तु मच्छरों की पीढ़ियां आदमी की हर पीढ़ी को मिल जाती हैं तो यह संघर्ष हमेशा चलता रहेगा।

मच्छर गुनगुनाते हुए बताएंगे कि हम डेंगू फैला देते हैं तो आदमी मर जाता है लेकिन मच्छर ये कभी नही बताते कि लोग मरे सही इलाज ना होने से , चिकित्सा जगत का व्यापारीकरण होने से लोग मर रहे हैं और साफ सफाई ठीक ढंग की ना होने से मच्छर बढ़ रहे हैं।

इसलिए मच्छर डरवाते बहुत हैं ऐसे ही खबर का असर बहुत डरवाता है उससे ज्यादा डरावना है धन्यवाद फलाने समाचार ऊपर से मच्छर व्यक्तिगत हमला करेगा तो निर्दोष आदमी की जान लेने की कोशिश भर करेगा ताकि लोग उससे डरें और मच्छर का साम्राज्य कायम रहे तो गंदगी की बस्ती मे गंदे लोगों के ठहाकों के बीच मच्छर ऐसे ही पलते बढ़ते हैं और निर्दोष लोग कभी कभी मारे भी जाते हैं।

फिलहाल असरदार मच्छरों की दुनिया से आदमी अपनी दुनिया की सच्चाई को समझें कि बहुत उड़े ना और बहुत डराएं ना बल्कि फैक्ट पर वर्क करें , इसी उम्मीद के साथ लिखा गया मच्छर पुराण।

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